रूमी फ़ारसी ज़बान मे लिखते थे मगर रहते तुर्की मे थे, जिसे उस दौर मे रूम कहा जाता था. इसलिये बाकी दुनिया के लिये उनका नाम रूमी पड़ गया, हालाँकि तुर्की मे उन्हे मौलाना के नाम से पहचाना जाता है. इसी तरह शम्सुद्दीन तबरेज़ी इरान के शहर तबरेज़ के रहने वाले थे. शायरों मे ये परम्परा हाल तक क़ायम रही...जिगर मुरादाबादी, साहिर लुधियानवी वगैरह.
तो रूमी और तबरेज़ी की बात तो साफ़ हो गई..अब ये सूफ़ी कहाँ से आया है?
माना यह जाता है कि सूफ़ी अरबी के शब्द सूफ़ से उपजा है जिसके मायने होता है ऊन. चूँकि बहुतेरे फ़कीर ऊन के चोगे पहन के घूमा करते थे इसलिये ये मान्यता चली, मगर कुछ फ़कीर ऊन के चोगे नहीं भी पहनते थे. तो दूसरी मान्यता यह हुई कि सूफ़ी शब्द की उत्पत्ति अरबी के एक और शब्द सफ़ा से है..जिसके मायने उजला या पवित्र है. गौर तलब है कि आजकल की हमारी आम बोलचाल का शब्द सफ़ाई भी इसी सफ़ा से आ रहा है. तो चूँकि फ़कीर लोग दिल के साफ़ और ईमान के उजले होते हैं तो वो सूफ़ी कहलाये.
एक और मान्यता के अनुसार सूफ़ी शब्द की जड़ अशब अल सुफ़्फ़ा में है. अशब अल सुफ़्फ़ा भी अरबी शब्द है और इसका मायने बरामदे के साथी होता है. ये नाम इस्लामिक इतिहास मे उन लोगो को दिया गया था जो अपना ज़्यादातर वक़्त मुहम्मद साहिब की मस्जिद के बरामदे मे रहते हुये इबादत में ही गुज़ारते थे. उन्ही के पीछे उनके जैसी भक्ति वाले दूसरे फ़कीरों को सूफ़ी नाम दे दिया गया.
एक व्याख्या अल बेरुनी की भी है जिसने सूफ़ी शब्द को ग्रीक भाषा के सोफ़िया से जोड़ा है, जिसका अर्थ होता है ज्ञान. और सुकरात के चेलों को इसी कारण सोफ़िस्ट कहा जाता था.. कालान्तर में इसी सोफ़िया से अन्ग्रेज़ी में सोफ़िस्ट्री और सोफ़ेस्टिकेटेड जैसे शब्द बने. सूफ़ी शब्द की ये व्याख्या बहुत मान्य नहीं है.. मगर क्या पता?.. जैसे मनुष्य की जड़े एक हैं, वैसे ही उसकी भाषाओं की जड़े भी तो एक हैं.
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
2 टिप्पणियां:
भाई अभय, आप ये बड़े पुन्य का काम कर रहे हो कि ये जानकारी दे रहे हो और इसे विकिपीडिया में भी डाल रहे हो! आगे इंतजार है और पढ़ने का!
लेकिन ये विकिपीडिया में हिंदी में डालो न इसे!
एक टिप्पणी भेजें