हिन्दुस्तानी सूफ़ी परम्परा में बसन्त उत्सव का महत्व तो हज़रत निज़ामुद्दीन के काल से है। हिन्दुस्तान क्या पाकिस्तान में भी ये परम्परा आज तक क़ायम है। बसन्त के अलावा सूफ़ियाना कलाम में होली का भी एक रूपक की तरह खूब इस्तेमाल हुआ है.. जैसे कि हज़रत शाह नियाज़ का ये कलाम;
होरी होय रही है
अहमद जिया के द्वार
हज़रत अली का रंग बनो है
हसन हुसेन खिलाड़
ऎसो होरी की धूम मची है
चहुँ ओर परी है पुकार
ऎसो अनोखो चतुर खिलाड़ी
रंग दीन्यो संसार
नियाज़ पियाला भर भर छिड़के
एक ही रंग सहस पिचकार
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6 टिप्पणियां:
आप को एंव आपके समस्त परिवार को होली की शुभकामना..
आपका आने वाला हर दिन रंगमय, स्वास्थयमय व आन्नदमय हो
होली मुबारक
अभय जी,
मैं पहली बार देख रहा हूँ कि "नामानुसार" भी उर्दू
का इतना व्यापक प्रयोग और समझ जो विरले ही
मिलता है…कुछ लोगों के पास ही जो उस कौम से अलग हैं यह धरोहर बचा पायें हैं…।
उम्दा कलाम!!बधाई स्वीकारे!!
होली की शुभकामनाओं के साथ…।
आपको भी होली की बहुत मुबारकबाद और शुभकामनायें. :)
होली की रंगारंग शुभकामनाएं
bahut hi saarthak aur saar bhari rachanaa hai.. Happy Holi,,
अब कुछ दीवाली पर हो जाए.
अतुल
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