बुधवार, 7 मार्च 2007

तुम्हारी मस्तियों लाचारियों का मैं हूँ ग़ुलाम

रूमी कृत फ़ीही मा फ़ीही से वार्तालाप ६९

इन्सान और भगवान के बीच सिर्फ़ दो परदे हैं - सेहत और दौलत- बाकी सारे परदे इन्ही से उपजते हैं। जो सेहतमंद हैं वे ना तो भगवान को खोजते हैं और न उसे पाते हैं.. मगर जैसे ही दर्द की मार पड़ती है.. वो चिल्ला उठते हैं.. "हे भगवान, या खुदा, ओह गॉड".. भगवान की शरण की पुकार करने लगते हैं। लिहाज़ा, सेहत उनका परदा है और भगवान उनके दर्द मे छिपा है।

जब तलक लोगों के पास दौलत होती है, वे अपनी कामनाओं की प्यास बुझाने मे लगे रहते हैं, रात और दिन सुख मे डूबे रहते हैं। जैसे ही कंगाली के पैर पड़ते हैं, उनके उत्साह ठंडे पड़ जाते हैं और वे भगवान का रुख करते हैं।

कंगाली नशाख़ोरी लाई है तुमको यहां।
तुम्हारी मस्तियों लाचारियों का मैं हूँ ग़ुलाम॥

खुदा ने फिरौन को चार सौ बरस की उमर, सल्तनत और सुख दिया। वो सब एक परदा था, जिसने उसे खुदा के वुजूद से दूर रखा। उसे दर्द और तकलीफ़ का एक दिन भी नहीं देखना पड़ा, ताकि वो खुदा को पूरी तरह से भूला रहे। खुदा ने कहा, डूबे रहो अपनी तमन्नाओं में, और मेरे बारे में सोचो भी मत, शब्बः खैर!


आजिज़ आ गया सुलेमान* अपनी सल्तनत से।
मगर अय्यूब** को राहत न मिली अपने दर्द से॥




*सुलेमान(Solomon) पश्चिमी एशियाई संस्कृति में प्राचीन दुनिया का सबसे नामवर बादशाह था, और बाईबिल मे उसका ज़िक्र विस्तृत है। सुलेमान का नाम ऎश्वर्य और समृद्धि का पर्याय है।
**बाईबिल(पुराना विधान) अलग अलग कालखण्ड में लिखी गई कई किताबों का संकलन है .. अय्यूब(Job) के नाम से एक पूरी किताब है बाईबिल के अन्दर। अय्यूब एक धर्म भीरु और सम्पन्न व्यक्ति था। एक बार शैतान ने ईश्वर से उसकी आस्था के इम्तिहान के अनुमति मांगी, ईश्वर ने दी। उसके बाद अय्यूब पूरे जीवन दुख और तकलीफ़ें ही झेलता रहा पर ईश्वर पर से उसकी आस्था न डिगी।


तस्वीर: टॉम ब्लॉक कृत एक तैल चित्र, कॉपीराइट उन्हीका

1 टिप्पणी:

Divine India ने कहा…

आपका लिखा गहराइयों में डूबो देता है…और सिखने के लिए बहुत कुछ ले जाता हूँ यहाँ से…।