सोमवार, 12 मार्च 2007

क़िस्सा ए मसनवी


रूमी की सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध रचना मसनवी का पूरा नाम मसनवी ए मानवी है। मानवी एक अरबी शब्द है जिसके मायने है आध्यात्मिक या असल..और मसनवी एक दूसरे अरबी शब्द मसनवा से निकल रहा है जो के एक प्रकार के दो पंक्तियों के छ्न्द का नाम है जिसमें दोनों मिसरे तुक में होते हैं। तो हमारी भाषा में इसका अर्थ होगा आध्यात्मिक छ्न्द। मसनवी में कुल छै किताबें हैं और तक़रीबन ३५०० छ्न्द।

मसनवी की रचना रूमी ने अपने जीवन के अन्तिम कालखण्ड में की..और मृत्यु पर्यन्त करते ही रहे..किताब की आखिरी कहानी अधूरी ही है। ये सूफ़ी कथाओं, नैतिक कथाओं और आध्यात्मिक शिक्षाओं का एक सम्मेलन है। रूमी ने खुद मसनवी को धर्म के मूल का मूल का मूल, और क़ुरान की टीका की संज्ञा दी है।

मसनवी की रचना कैसे शुरु हुई इसके बारे में एक रोचक घटना है। रूमी के प्रिय शिष्य हुस्माद्दीन चेलाबी ने एक रोज़ रूमी को अकेले पा कर उन से एक गुज़ारिश की कि हज़रते मौलाना दीवान की ज़िल्द तो खासी मोटी हो गई है.. अगर सनाई और अत्तार की तरह एक ऎसा ग्रंथ लिखा जाता जिसे पढ़कर, आशिक़ सब कुछ भूल कर उसी में मन रमा लेते..ये सुनकर रूमी ने अपनी पगड़ी से चन्द पुरज़े निकालकर चेलाबी के हाथ में थमा दिये..जिसमें मसनवी की पहली किताब का आग़ाज़.. "मुरली का गीत" भी था..

तस्वीर: रूमी पर केन्द्रित रूसी पत्रिका सुत रूमी से साभार

13 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

कलॉम-ए-रूमी पर रुक क्यों गए मित्र. मुझे वैसे भी गालियाँ पड़ ही रही हैं -- विमल उखड़े हुए हैं -- तो कुछ आपसे भी खा ही लूँ.

कौन है जो फ़ारसी सीखे और उसके बाद फिर अनुवाद की कोशिश भी करे? कोई नहीं. इसलिए इस काम को छोड़िए मत.

फ़ारसी ज़बान-ए-अमोज़िश अस्त !

नॉम-ए-मन एनॉनिमस अस्त, मन हिंदुस्तानी अस्तम.

deepanjali ने कहा…

आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा.
ऎसेही लिखेते रहिये.

स्वप्नदर्शी ने कहा…

achchi koshish hai. chidiye mat.
aapka rumi ke liye utsaah kabile tareef hai

आशीष "अंशुमाली" ने कहा…

रूमी के प्रवचनों पर निगाह डालियेगा, कविताओं के बाद।

मैथिली गुप्त ने कहा…

यहां नई पोस्ट कब लिखेंगे?

सतपाल ख़याल ने कहा…

yih bahut baRa kaam hai jo aap kar rahe haiN aur sahej ke rakhne wala hai..shukria

36solutions ने कहा…

रूमी पर आपकी किताब के प्रकाशन की शुभकामनांए.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

एक स्तुतीय प्रयास। आशा है इससे कई अनुवादको को प्रेरणा मिलेगी। बहुत बधाई॥

Amit ने कहा…

अभय जी,

आपकी किताब पढ़ी जिससे इस ब्लॉग का पता चला । बहुत अच्छा लगा पढ़कर । रूमी के सांसारिक प्रेम और विरह पर लिखे गए गज़लों को प्रस्तुत करते तो और भी अच्छा लगता । जैसे कि अभी मैने एक ग़ज़ल सुनी जो मुझे आधी अधूरी समझ में आई - सनमा जफ़ा रिहा कुन (صنما جفا رها کن کرم این توا ندارد)। अगर इसका तरजुमा पेश करते तो बहुत अच्छा लगता । धन्यवाद । पूरी ग़ज़ल यहाँ है - https://www.youtube.com/watch?v=P8DW32gMqEQ

Unknown ने कहा…

masnavi ko samjne ke liye islam dharm may ana hoga pyare bhai sufi ke kalam samjne ke baad atma rooh duniya may hoker bhi duniya may nahi hoti.

Unknown ने कहा…

masnavi ko samjne ke liye islam dharm may ana hoga pyare bhai sufi ke kalam samjne ke baad atma rooh duniya may hoker bhi duniya may nahi hoti.

Unknown ने कहा…

Masnavi ek bahut achcha VA sabhi dharmon me liye,Jo Parvati digaar Jo manage wake hai unako Anand deta hi hai.yah blog mujhe bahut achcha VA prerna daayak lagaa.namaskar.

Nock Code ने कहा…

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