रूमी की सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध रचना मसनवी का पूरा नाम मसनवी ए मानवी है। मानवी एक अरबी शब्द है जिसके मायने है आध्यात्मिक या असल..और मसनवी एक दूसरे अरबी शब्द मसनवा से निकल रहा है जो के एक प्रकार के दो पंक्तियों के छ्न्द का नाम है जिसमें दोनों मिसरे तुक में होते हैं। तो हमारी भाषा में इसका अर्थ होगा आध्यात्मिक छ्न्द। मसनवी में कुल छै किताबें हैं और तक़रीबन ३५०० छ्न्द।
मसनवी की रचना रूमी ने अपने जीवन के अन्तिम कालखण्ड में की..और मृत्यु पर्यन्त करते ही रहे..किताब की आखिरी कहानी अधूरी ही है। ये सूफ़ी कथाओं, नैतिक कथाओं और आध्यात्मिक शिक्षाओं का एक सम्मेलन है। रूमी ने खुद मसनवी को धर्म के मूल का मूल का मूल, और क़ुरान की टीका की संज्ञा दी है।
मसनवी की रचना कैसे शुरु हुई इसके बारे में एक रोचक घटना है। रूमी के प्रिय शिष्य हुस्माद्दीन चेलाबी ने एक रोज़ रूमी को अकेले पा कर उन से एक गुज़ारिश की कि हज़रते मौलाना दीवान की ज़िल्द तो खासी मोटी हो गई है.. अगर सनाई और अत्तार की तरह एक ऎसा ग्रंथ लिखा जाता जिसे पढ़कर, आशिक़ सब कुछ भूल कर उसी में मन रमा लेते..ये सुनकर रूमी ने अपनी पगड़ी से चन्द पुरज़े निकालकर चेलाबी के हाथ में थमा दिये..जिसमें मसनवी की पहली किताब का आग़ाज़.. "मुरली का गीत" भी था..
मसनवी की रचना रूमी ने अपने जीवन के अन्तिम कालखण्ड में की..और मृत्यु पर्यन्त करते ही रहे..किताब की आखिरी कहानी अधूरी ही है। ये सूफ़ी कथाओं, नैतिक कथाओं और आध्यात्मिक शिक्षाओं का एक सम्मेलन है। रूमी ने खुद मसनवी को धर्म के मूल का मूल का मूल, और क़ुरान की टीका की संज्ञा दी है।
मसनवी की रचना कैसे शुरु हुई इसके बारे में एक रोचक घटना है। रूमी के प्रिय शिष्य हुस्माद्दीन चेलाबी ने एक रोज़ रूमी को अकेले पा कर उन से एक गुज़ारिश की कि हज़रते मौलाना दीवान की ज़िल्द तो खासी मोटी हो गई है.. अगर सनाई और अत्तार की तरह एक ऎसा ग्रंथ लिखा जाता जिसे पढ़कर, आशिक़ सब कुछ भूल कर उसी में मन रमा लेते..ये सुनकर रूमी ने अपनी पगड़ी से चन्द पुरज़े निकालकर चेलाबी के हाथ में थमा दिये..जिसमें मसनवी की पहली किताब का आग़ाज़.. "मुरली का गीत" भी था..
तस्वीर: रूमी पर केन्द्रित रूसी पत्रिका सुत रूमी से साभार